Tuesday 8 November 2016

नोटबंदी से नवयुग का सूत्रपात अभियान

आर्थिक क्रांति 2016
भारत माता की जय !
केश करन्सी का चलन घटाओ, डिजीटल प्रणाली भी अपनाओ
लेन देन में बैंको को आधार बनाओ, भ्रष्टाचार से मुक्ति पाओ
नोटबंदी से नवयुग का सूत्रपात अभियान
-: चर्चा, चेतना, चमत्कारी क्षण :-
डॉ. भगवत सिंह तंवर (तोमर), पूर्व चीफ इंजीनियर
अध्यक्ष - अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
संरक्षक - वरिष्ठ नागरिक मंच, चित्तौड़गढ़
जल पर्यावरण सलाहकार - कई राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय गौरवशाली संस्थान
काले धन और नकली करंसी ने कर दिया भारी नुकसान, नई करेंसी के चलन में बचे देश की जान
अच्छी शिक्षा दीक्षा स्वास्थ्य व्यवसाय भोजन और प्रवास
जनता को ये सुविधाएँ देने का प्रधानमंत्री का है प्रयास|
प्रिय आदरणीय बंधुओं व बहनों,
जय हिन्द !
  • 8 नवम्बर 2016 नोटबंदी का दिन देश के लिए एक महान ऐतिहासिक उपलब्धि है । इसे ‘‘भ्रष्टाचार मुक्त दिवस" एवं "आर्थिक क्राति दिवस'' की संज्ञा दी जा सकती है। रूपये 500 व 1000 की नोटबंदी को पक्ष का भारी समर्थन एवं विपक्ष का भारी विरोध, आलोचना एवं लगातार हंगामा व कोहराम देखने सुनने को मिल रहा है। 90 फीसदी से अधिक आमजन ने नोटबंदी को सही बताया है। कारण कि --
  • भारत में 70 वर्ष की आजादी के बहुमुल्य लोकतंत्र की उदारवादी लचीली दयालु व्यवस्था का गलत लाभ उठाते हुए काले कुबेरों के बक्सों में भरे कालेधन, घरों व बैंको के लोकर्स में भरा काला सोना तथा शहरों में अपार काली संपत्ति ने देश में कई काले पापों को जन्म देते हुए राजनीतिक ढांचे एवं शासन - प्रशासन - न्यायिक व्यवस्था को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है। काला धन देश के लिए कैसर बन चुका है। नोटबंदी के उपरान्त कारोबारी मालिक वर्ग गरीब मजदूर वर्ग को धमकी देकर कारोबार से बाहर निकालकर क्या दर्शाना चाहते है?
  • भारतवासी भगवान राम के समय से अत्यधिक धैर्य, सहिष्णुता एवं सहनशीलता का परिचय देते आए है? इस वजह से देशवासियों ने। सैकड़ों सालों की गुलामी में रह कर आज भी कई कष्ट भुगत रहे है-खतरनाक आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार से पनपे पंजीवाद, शिक्षा चिकित्सा में व्यापारवाद, व्यापार में लूटखसोट व हवालावाद, बाजारू वस्तुओं में जहरीला मिलावटवाद, शासन प्रशासन में भाई भतिजावाद, न्यायालय के फैसलों में घोर लेटलतीफवाद, सिनेमा, टीवी में प्रेस के द्वारा दशयेि मनोरंजन में भरपूर सेक्सवाद और इससे उपजे बलात्कारवाद का बोलबाला और सबसे दुखदायी पंचायत से लेकर पार्लियामेन्ट तक परिवारवाद ने लोकतंत्र की जड़े ही खोदकर रख दी है। सर्वजन शिक्षा व योग्यता को दरकिनार करते हुए तुष्टीकरण, अनुदान पर अनुदान, मुफ्त में वस्तुओं का वितरण, योजनाओं के क्रियान्वयन में आलसीपन तथा बेहद जातीय वोट बैंक की राजनीति ने जनता का ध्यान सामुहिक कठोर परिश्रम, ईमानदारी और योग्यता से हटा कर देश को कमजोर किया है।
  • दुर्भाग्यवश हर मौहल्ले, गांव व शहर की भारी गड्ढ़े वाली सड़को से लेकर दिव्यांग बनी संसद तक चारों ओर काले कारनामों, फर्जीवाड़ा, टैक्स चोरी एवं अनैतिकता ने देश को कई खतरनाक बुराईयों और बीमारियों से दूषित कर दिया है और देशवासियों के जीवन को अप्राकृतिक व असक्रिय बनाकर रख दिया है। अब फिर से देश को एक नये महान चमत्कारी कृष्ण की जरूरत है, जो आज की महाभारत की लड़ाई में चमत्कार दिखा कर नई गीता का उपदेश देते हुए क्रांतिकारी परिवर्तन ला सके| नई केशलेस आर्थिक क्रांति में बैंको को बनना होगा कुरूक्षेत्र का मैदान और तीर साबित होगें आधार कार्ड। कुछ बैंक अधिकारी लक्ष्मण रेखा पार कर रहे है जो उनके हित में नहीं है।
  • इस कष्टदायी प्रदूषित वातावरण को सुधारने में आज निसंदेह वीर, साहस व जनप्रिय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने भगवान राम की मर्यादा का पालन करते हुए आधुनिक काले राक्षसों से दुखदायीं जनता का बचाव करने का बीड़ा उठाया है। जिसमें नोटबंदी तो एक प्रारम्भिक पहला कदम है। धैर्य रख इस क्रांतिकारी कदम में देश हित को सर्वोपरि मानते हुए नोटबंदी के कार्यक्रम को सहर्ष अपनाईएँ, महान परिवर्तन लाईये और व्यवस्था के सुधार में भागीदार बनिये। 
  • कृपया आप अपने विवके का इस्तेमाल कर नोटबंदी से उपजे विवाद का विश्लेषण कर स्वयं के व राष्ट्र के नफे नुकसान का सोचिये। किसी वर्ग के बहकावे में मत आईये। हिन्दुस्तान को विश्व के सम्पूर्ण देशों की पहली पंक्ति में खड़ा करने हेतु अपनी अहम भूमिका निभाईये। वीरता दिखाते हुए कष्ट सहन करें और नये युग के सूत्रपात व संचार में भरपूर समर्थन दे। सहयोगी बनिये। धन्यवाद !



Tuesday 25 October 2016

गंभीरी बांध को नये नजरीये से देखने का समय - डाॅ. तंवर

Gambhiri Nadi Bridge, Chittorgarh 

जल स्वावलम्बन अभियान के तौर पर वर्तमान में राज्य का जल संग्रह पर पूर्ण ध्यान केन्द्रित है, जबकि बांधो का संग्रहित जल भयंकर नष्ट हो रहा है जिसको सम्भालने व समान बंटवारे की जरूरत है। इस संदर्भ में चित्तौड़गढ़ जिले का गम्भीरी बांध एक ज्वलंत उदाहरण पेश कर रहा है। जल उपयोगकर्ताओं के व्यक्ति गलत स्वार्थ एवं जल बचत के प्रति जिम्मेदारी तथा जागरूकता नहीं समझते हुए नहरी अधिनियम, सिंचाई प्रणाली के प्रबंधन में कृषकांे की सहभागिता अधिनियम तथा राज्य जल नीति का प्रभाव यहां गम्भीरी बांध के कमान क्षेत्र में कोई नजर नहीं आता और बांध के करीब 50 प्रतिशत आधे जल को व्यर्थ में नष्ट करने के अलावा सैंकड़ो नलकूप बोरवेल्स के द्वारा भूमिगत जल के अतिदोहिन के परिणाम से क्षेत्र डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। इस दुलर्भ परिस्थति में क्षेत्र के भविष्य के आर्थिक विकास का कोई मायना नहीं रह जाता है। अतः आवश्यकता है बांध क्षेत्र को नये नजरीये से देखते हुए बांध के जल को अधिकतम लाभ के प्रयोग हेतु तुरंत सुधार कार्यक्रम लागू किये जाये।
गम्भीरी बांध का निर्माण वर्ष 1957 में पूर्ण होने पर इसके 3200 हेक्टर के भराव क्षेत्र का 2300 मिलियन गन फीट पानी दो नहरों द्वारा 35-40 किलोमीटर की दूरी तक करीब 70 गांवो में 7600 हेक्टर के कल्चरेबल कमाण्ड क्षेत्र में बांटा गया जिससे लगभग 11708 किसानों का तत्कालीन रबी फसल की सिंचाई करने के लिए काफी कुछ हद तक फायदा पहुंचाया गया था। समय बीतने के साथ किसानों ने बीड़ क्षेत्र को कृषि भूमि में परिवर्तित किया और जल की मांग बढ़ने पर कुंओं से हटकर कई नलकूप लगा जलापूर्ति की गई। यह गति इतनी तेज बनी कि भूजल का अतिदोहन होने पर चित्तौड़गढ़ और निम्बाहेड़ा ब्लाॅक्स को वर्ष 2012 में नोटिफाइड कर आगे के लिए नये नलकूप लगाने पर रोक लगा दी गई। इससे पहले वर्ष 2010 में बांध के सिंचाई क्षेत्र का प्रबंधन 9 जल उपभोक्ता संगम को स्थानान्तरित कर दिया गया। इन जल उपभोक्ता संगम के प्रभावशाली तरीके से कार्य नहीं कर पाने से जहां वर्तमान में बांध का व भूमिगत जल दोनों ही नष्ट हो रहे है वही नहरी जल की रेवेन्यू नहीं एकत्रित होने से राज्य को वित्तीय नुकसान भी हो रहा है।
डाॅ. तंवर पूर्व चीफ इंजीनियर व अध्यक्ष अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान के अध्ययन के अनुसार बांध के प्रति एक हजार लीटर जल के उपयोग पर किसानों को केवल 2 रूपये का लाभ प्राप्त हो रहा है, जबकि जल व्यापार व उद्योग क्षेत्र में लाभ हजारों में प्राप्त होता है। कारण है कि जल के कृषि में अव्यवस्थित उपयोग से एक किलो गेहूं पैदा करने में 1350 किलो (5 ड्रम) पानी खर्च हो रहा है। इसलिए आर्थिक विकास एवं रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए वैज्ञानिक तौर पर कृषि सिंचाई के अलावा उद्योगों को प्रेरित कर उनके लिए बांध के जल में आवश्यक हिस्सा तय कर पानी दिया जाये और विशेषकर बड़े उद्योगो जैसे स्थानीय नई व पुरानी सीमेन्ट उद्योग ईकाईयों पर सीएसआर गतिविधियों के अन्तर्गत बांध जल उपयोग व्यवस्था सुधार कार्यक्रम की जिम्मेदारी डाली जाये और जिसमें जल उपभोक्ता संघो की जल एवं वित्तीय प्रबन्धन की योग्यता व क्षमता बढ़ाना भी शामिल किया जाये। इस व्यवस्था से किसानों को अवश्व लाभ होगा और साथ ही उद्योगों को आवश्यक जल प्राप्त होने से स्थानीय आर्थिक विकास को गति मिलने के साथ ही युवाओं के लिए लाभदायक रोजगार के साधन बढ़ेगें।

- डाॅ. भगवतसिंह तंवर, पूर्व चीफ इंजीनियर
अध्यक्ष अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान, 
चित्तौड़ीखेड़ा, चित्तौड़गढ़
मो. 9413315843
म्उंपस रू ंूमेपतंर/हउंपसण्बवउ


Thursday 18 August 2016

पर्यावरण संरक्षण और निरंतर योग

पर्यावरण संरक्षण और निरंतर योग अपनाओ-स्वस्थ्य लंबा जीवन पाओ अभियान

प्राकृतिक पर्यावरण - पंच तत्व की शुद्धता का संरक्षण (हवा, पानी अग्नि, धरती, गगन) सामाजिक पर्यावरण- पंच बिन्दू की पवित्रता का संरक्षण (संस्कार, संस्कृति, शिक्षा, समता मानवता) योग पर्यावरण- शारीरिक, मानसिक व मनोवैज्ञानिक ताकत का बढ़ावा
पानी बचाओं, पेड़ लगाओं, पर्यावरण बचाओं,

प्राकृतिक पर्यावरण बचेगा तो धरतीगगन बचेगा सामाजिक पर्यावरण बगा तो मानवता बचेगी और योग पर्यावरण  देश है।

प्रिय बंधुओं-भाई बहनों,
जय हिन्द ! स्वच्छ भारत
आवश्यकता घटाओं, शौचालय बनाओं, स्वच्छता बढाओ !
आज विकास स्वरूप एक तरफ अपार सुविधाएं तथा धन-दौलत की सीमा बढ़ रही है, लेकिन दूसरी तरफ उतनी ही शारीरिक ताकत तथा मानव मानसिकता घट रही है, जो बड़ी चिन्ता का विषय है। अगर औसतन आयु बढी भी है तो वह चिकित्सालय और बेशुमार दवाईयों तथा सरकारी व निजी खर्च एवं इलाज में समय की बर्बादी के सहारे बड़ी है। वर्तमान सुविधा विकास और रहन सहन के तौर-तरीकों ने दुखदायी जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा दिया है, जिससे प्राकतिक आपदाओं में बढ़ोतरी हुई है। बाढ़, सूखा, भूकम्प, सुमानी, आंधी, तुफान ने दशा बिगाडी है। देश का कीमती टैक्स सम्पदा का अत्यधिक खर्च जहां आपदा प्रबंधन में हो जाता है, वही कई गुना पैसा दूसरी ओर सामाजिक जिम्मेदारियों में खर्च हो जाता है। मजबूरन सरकारी सड़कें, भवन व अन्य निर्माण कार्य कमजोर डिजाईन व कम गुणवत्ता वाले बन रहे हैं, जिसके उपयोग से जनमानस दुखी है और दुर्घटनाएं हो रही हैं।
70 वर्ष की आजादी के पश्चात् अन्तराष्ट्रीय कई तरीकों से मदद मिलने के बावजूद भी जनता किस पायदान पर खड़ी है, आप स्वयं जानते है। करोडो लोग दुखी जीवन व्यतीत कर रहे है, जो गजब की गरीबी की मार से पीड़ित है। प्रत्येक घटना के दो पहलु है- एक जो दिखता है और दूसरा दर्शन को समझना होता है। केवल दिखावे और भावना में बहकर जनता गलत फैसले ले लेती है। इससे क्या होगा?
भयानक समस्याओं का सीधा साधा समाधान हैं- "पर्यावरण संरक्षण और निरंतर योग अभ्यास" इस फॉर्मूले को अपनाकर निश्चय ही जीवन का आनंद लीजिये। इस विषय में जन जागरूकता बढ़ाने, पर्यावरण व योग संबंधी कार्य को बढ़ावा देने तथा आपदाओं के जोखिम से बचने-बचाने के लिए कई दिवस मनाये जाते है। जिन्हे कृपया याद रखकर अवश्य मनाये और पर्यावरण संरक्षण के लिए योग द्वारा चुस्त-दुरूस्त रह कार्य करें।

Saturday 23 July 2016

महाराणा प्रताप जयंती, (शौर्य दिवस)

7 जून 201 6 को गायत्री संस्थान ने मथुरा से पधारकर महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर "शौर्य दिवस" चित्तौड़ जनहित अभियान के सभी सामाजिक संगठनों व आमजन के साथ मिलकर मनाया जो पूर्ण सफल रहा। सवाल है कि चित्तौड़ वासियों को क्या प्रेरणा मिली ! क्या बदलाव आया? सोचें, समझें और अपनी जीवन शैली को “बहादुर और बेदाग" बनायें।
इसी संदर्भ में यह परचा पेश है:-

"चित्तौड़-मेवाड़ के आज के सम्माननीय वीर और वीरांगनाओं मेवाड़ की मर्यादा का पालन करो अभियान"

शौर्य, वीरता, साहस, स्वाभिमान, शक्ति-भक्ति, त्याग और गौरव की है मेवाड़ की कहानी, करो सबका मान-सम्मान और बोलो श्रेष्ठ मिठी-वाणी
प्रतिदिन योग साधना करो, गलत लालच व आलस्य छोडो चित्तौड़ मेवाड़ की तस्वीर बदलो तकदीर बदलो
प्रिय मेवाडयाशियों,
आज का आर्थिक युग है। हर इंसान को फायदेमंद रोजगार व कारोबार तथा अधिक से अधिक पैसा कमाने का बड़ा लालच व चिंता सताई रहती है। फिर भी इंसानियत के नाते प्रत्येक नर-नारी का फर्ज बनता है कि स्थानीय इतिहास, परम्परा और मर्यादा का सह निर्वहन करे। बच्चो को संस्कार दे व निष्ठा और बड़ी इमानदारी से जीवन की जिम्मेदारियां निभाते हुए व्यवहार कुशल बनकर रहें। जिसमें कोई पैसा खर्च नहीं होता है। सच्चे कर्म और पुरूषार्थ के साथ-साथ गरीब, सामान्यजन, अमीर, राजकीय अधिकारी-कर्मचारियों और लोकप्रिय नेताओं का मान-सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का धर्म व कर्तव्य है।
मेवाड़ में चित्तौड़ का अग्रणीय स्थान है। यहां के कई पूज्यनीय वीर-वीरांगनाओं ने विश्व प्रसिद्ध इतिहास रचा है। जिनमें शुरवीर महाराणा कुम्भा, सांगा, प्रताप एवं महारानी पदमिनी, मीरा तथा धन्नाधाय और परमवीर योद्धा गोरा-बादल, कल्ला, जयमल, फत्ता, व बाघसिंह का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
हल्दीघाटी के शूरवीर योद्धा ग्वालियर महाराजा रामशाह तोमर (तंवर) व इनके तीन कंवर व भंवर, झालामान व पठान हकीम खां सूरी जो युद्ध में शहीद हुए तथा भामाशाह व राधा पूजा का नाम भी पूजनीय है। मेवाड़ की मिट्टी और मारवाड़ की रेत दोनो का शौर्य व गौरवमयी इतिहास है। ऐसी महान विश्व प्रसिद्ध मेंवाड़ धरा पर यहां सौभाग्य से हमें रहने को मिला है। लेकिन क्या हम इस पूज्य धरा की प्रसिद्धि को अपने विचार, गुण व कर्म से बनाए रखने का परिचय दे रहे है। सुदृढ बन रहे। शायद नहीं। तो आईये गम्भीरता से सोच विचार कर अपने कर्तव्य को निभाने का सहर्ष सामूहिक प्रयास करें। बुराईयों से दूर रहे। केवल अच्छे गुण अपनाएं। स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है लेकिन जन्म के बाद कर्त्तव्य भी उतना ही अनिवार्य है।

Saturday 18 June 2016

राजा रामशाह तोमर (तँवर) की पुण्य तिथि और 21 जून 2016 विश्व दिवस

जन जागरूकता शत् शत् वन्दन! 18 जून 2016 शत् शत् प्रणाम ! अभियान सं. 5, वर्ष 2016

हल्दीघाटी युद्ध का परमवीर महान योद्धा ग्वालियर राजा रामशाह तोमर (तँवर) की पुण्य तिथि को हार्दिक श्रद्धान्जली

  • ग्वालियर से चित्तौड़गढ़ पधारकर मेवाड़ महाराणा उदयसिंह के साथ दिल्ली की सल्तनत को ललकारा एवं जीवनभर मेवाड़ का पूरा साथ दिया। 
  • महाराणा उदयसिंह ने ‘‘शाह की उपाधि" देकर सम्मान किया व मेवाड़ की राजकुमारी का विवाह सबसे बड़े राजकुमार कुँ. शालीवान के साथ किया। 
  • राजा रामशाह ने जालमसिंह को हटवा महाराणा प्रताप को मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठाया, जो बड़ा महान योगदान साबित हुआ है। 
  • हल्दी घाटी के 18 जून 1576 के रक्तकाल के युद्ध में राजा रामशाह के मय इनके तीन सुपुत्र कुँ. शालीवान, कुँ. भवानीसिंह, कुँ. प्रतापसिंह व पौत्र बलभद्र एवं चम्बल घाटी के 350 राजपूत वीर शहीद हुए। 
  • मेवाड़ महाराणा कर्णसिंह ने सन् 1624 में रक्त तलाई में इन महान शहीद बलिदानी राजा रामशाह व राजकुमारों के शिलालेख लगवा छतरियाँ बनवाई। 
! सभी महान बलिदानी शहीदों को श्रद्धासुमन !

अभियान सं. 6 वर्ष 2016

जीवन में खुशहाली को मजबूत बुनियाद रखें। 21 जून 2016 परिवार, समाज व देश के लिए उपयोगी बने।

विश्व योग दिवस-जन जागरुकता जन कल्याण अभियान-हिन्द का सम्मान वर्ष भर प्रातः योग विद्या अपनाओं, 21 जून को विश्व दिवस मनाओं।

  • मानव शरीर अपनी 10 इन्द्रियों समेत मुख्य पांच बल लिये बना है शारीरिक, मानसिकबल, बौद्धिकबल, मनोबल एवं आत्मबल।। योग पांचो बल का आधार है। इसका अनुसरण करना अनिवार्य है।
  • हमारे पूर्वजों में सभी बल मौजूद रहे हैं। आज की पीढ़ी का अच्छा खान-पान, सुख-सुविधाओं और आराम पर अधिक ध्यान है। जिसके चलते कई बीमारियां उत्पन्न हो चिकित्सालयों का आकार लगातार बढ़ने के साथ ही कई दवाईयां आये दिन नई बन रही है। मानव कमजोर और मशीनें ताकतवर बनती जा रही है।
  • जीवन का असली आनन्द लेना है तो प्रकृति के साथ अपना प्रतिदिन प्रातः योग करें। बड़ी खुशी से वर्ष में 21 जून को विश्व योगदिवस मनाये
धन्यवाद !
  • हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने संयुक्तराष्ट्र संघ में 21 जून को विश्व योग दिवस का मनाना तय करवाया है। इससे विश्व भर में हिन्दुस्तान को बड़ा आदर भाव से देखा जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री जी का सारा देश आभारी है।

! जय भारत माता ! ! जय हिन्द! ! जय राजस्थान ! ! जय मेवाड़ ! ! जय चित्तौड़ !






Tuesday 7 June 2016

महाराणा प्रताप जयंती

महाराणा प्रताप जयंती, 7 जून 2016


स्वतंत्रता प्रेमी हृदय सम्राट शूरवीर प्रतापी महाराणा प्रताप के गौरवमयी इतिहास से सदा प्रत्येक हिन्दुस्तानी को प्रेरणा मिलती रहे। प्रताप के झण्डे के नीचे मेवाड़ की रक्षा और स्वाधीनता के लिए हिन्दू और मुसलमान दोनो एक होकर हल्दी घाटी के युद्ध में लड़ रहे थे।
प्रताप ने नहीं किया कभी हिन्दू-मुसलमान में भेद, रखी सदा यही टेक
हिन्दुस्तान को सब मिलकर आगे बढ़ाओ, बन हिन्दू-मुस्लिम सब एक

घर-घर यह पाठ पढ़ाओ
प्रताप के आदर्श गुण अपनाओ
मेवाड़ की माटी को सिर पर लगाओ
प्रताप की जयंती को सार्थक बनाओ
हमारे देश का एक नाम हो एक ही हिन्दुस्तान,
तब मिलेगा हमें विश्व में पूर्ण सम्मान !
जागो जागो भाई हिन्दू और मुसलमान,
चल एक रास्ते पर इस महान देश को बनाओं और महान !
! जय भारत माता ! ! जय हिन्द ! ! जय राजस्थान ! ! जय मेवाड़ ! ! जय चित्तौड़ !



Tuesday 22 March 2016

जल दुरुपयोग रोकथाम जागरूकता अभियान

राष्ट्रीय जल दिवस 22 मार्च 2016

जल दुरुपयोग रोकथाम जागरूकता अभियान

(राजस्थान मुख्मंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के संदर्भ में)
जल ही जीवन है आत्मा-परमात्मा है, जल का नहीं करो कभी दुरूपयोग
मानवता रहेगी जिंदा तभी जब, जल की बूंद-बूंद का होगा सही उपयोग
प्रिय बधुओं,

जल देव की जय हो

  1. प्रत्येक प्राणी धरती मां पर पंच तत्व- हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। हवा के पश्चात पानी का जीवन में सर्वाधिक महत्व है। इसीलिए कहते है अच्छा जीवन जीना है तो पेड़ लगाओं, पानी बचाओं और सुर्य (अग्नी) को नमस्कार करो। सूर्य की अग्नि से ही सभी खाद्य पदार्थ (फल) पैदा होते है व जीवन स्वास्थ्यप्रद बनता है। आधुनिक विकास की दौड़ में हम हवा और पानी को दिनों दिन जहरीला बनाते जा रहे है। अत्यधिक सुविधाओं की हौड़ में आलसी व अनैतिक बन प्रदूषण फैलाकर जीवन लीला को ही समाप्त करने का खतरा मोल ले रहे है। जल संबंधित कई अभियान केन्द्रीय/राज्य सरकार चलाती है उससे हमें जागरूक बनना जरूरी है। 
  2. जल हमारे पीने, नहाने, घरेलु कार्य, कृषि सिंचाई, उद्योग–कारखाने, ग्रामीण-शहरी विकास, बिजली उत्पादन सभी निमार्ण कार्य व मनोरंजन इत्यादि जीवन के हरेक पहेलू में उपयोग होता है। इसलिए कहते है-जल ही जीवन है एवं जल है तो कल है।'' 
  3. पुराने समय में जल की उपलब्धता कोई समस्या नहीं थी। कुएं, बावड़ी, तालाब, नदी-नालों से स्वच्छ जल उपलब्ध था। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, आदर्श जीवन जीने के तौर-तरीकों में कमी आई, गांव-शहरों का फैलाव हुआ व उद्योग धन्धे बढे एवं पेट्रोल-डीजल आधारित यातायात के साधन बढे जिससे प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ हम आलसी बन प्राकृतिक सम्पदा के प्रति लापरवाही बरतने लगे। हमारा जीवन संकट बढ़ता गया। प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 6000 घनमीटर से घटकर 500 घन मीटर रह गई और अत्यधिक रासायनिक वस्तुओं के प्रयोग से जल दिनो दिन जहरीला होता जा रहा है। 
  4. पृथ्वी पर अथाह समुद्र जल है जो बहुत खारा व सीधे उपयोग के लायक नहीं है। बादल बन जो वर्षा से मीठा जल उपलब्ध होता है, उसे चार भागों में बांटा जा सकता है- वर्षा जल, सतही जल, (नदी-नाले, तालाब एन्क्रिट, बाँध इत्यादि), मृदा जल एवं भूजल (कुएं, बावड़ी, बोरवेल/ट्यूबवेल इत्यादि)। इन सब जल के उपयोग के बाद जो दुषित जल बनता है वो पांचवा प्रदुषित जल एक बड़ी समस्या है। 
  5. आज घर गांव-शहर से लेकर खेत-खलिहान, उद्योग कारखाने, बिजली संयत्र सभी जगह जल के दुरूपयोग एवं रासायनिक वस्तुओं के बेहद उपयोग के अलावा मल-मुत्र निपटान व साफसफाई पर हमारा ध्यान नहीं होने से जल बड़ी तेज गति से प्रदूषित हो जहरीला होता जा रहा है। बोतल बंद पानी का उपयोग करोडो रूपयों का व्यापार बन चुका है। कब तक ऐसा चलेगा। अतः हम अच्छी तरह जागरूक बन प्रत्येक पढ-अनपढ नर-नारी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जल के दुरूपयोग की रोकथाम नहीं करेंगे तो पृथ्वी पर मानव व अन्य जीवों की जीवन लीला ही समाप्त हो जायेगी। कृपया सावधान हो, आलस्य त्याग व  चिन्ता करके जल का उचित मात्रा में सदुपयोग करें तथा शासन-प्रशासन के आज के "मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान" में भी पूर्ण सहयोग दें। धन्यवाद्।

जीवन के अंधेरे को भगाने के लिए प्रकाश चाहिए, आंधी, तुफान को दबाने के लिए साहस चाहिए।
जीवन के पल-पल को सुखी बनाने के लिए प्रयास चाहिए, जन-जन का भला करने के लिए विश्वास चाहिए।


Wednesday 27 January 2016

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान

!जल समन्वित प्रयास! !जल संरक्षण! !जल संग्रहण! !जल संवर्धन! !जल आत्म निर्भरता!
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में भागीदारी निभाओं इसे कामयाब बनाओं
|(सौजन्य से।
अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
चार पानी के सिद्धांत पर अब बनी है संकल्पना-गांव को स्वालम्बी बनने की है कल्पना
प्रिय चित्तौड़गढ़ जिला ग्रामीण बंधुओं,
पंच तत्व में जल है एक अमृतपान, जल हे गजब का जीवन बरदान
वसुन्धरा की सोच है महान, चलाया है अनूठा जल स्वावलंबन अभियान
!आदरभाव सहित सादर प्रणाम!
सोचो, समझो और व्यवहार में लाओ यह बहुमुल्य विचार कि “जल है तो कल है' आजादी के बाद 68 वर्षों से जल प्रबंधन के लिए 342000 वर्ग क्षेत्र के राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में ढेरो योजनाएं-परियोजनाएं बनी व क्रियान्वयन हुई और जल बचाओ अभियान भी चलाये गये, लेकिन जल उपलब्धता अभी भी प्रदेश के लगभग 44009 (44572) गांवों की एक समस्या बनी हुई है। बांध, तालाब, कुओं व यहां तक की बोरवेलों का पानी जल्दी सूख जाना एक सामान्य बात है। भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। प्रदेश का 90 प्रतिशत चैत्र जल की दृष्टि से असुरक्षित है। यानि 686 लाख जनसंख्या में से 618 लाख लोग जल के मामले में विशेषकर गर्मियों में असुरक्षित हैं। प्रदेश का कृषि सिंचित क्षेत्र 75 प्रतिशत कुओं-ट्यूबवेलों परनिर्भर है एवं 25 प्रतिशत नहरों पर, जिससे भूजल का अधाधुन्द दोहन होने से अकाल की स्थिती ओर बिगड़ रही है। डार्क जोन में कुएं-ट्यूबवेलों पर रोक लगा दी गई है। ऐसी घनिष्ट परिस्थिति के सुधार के लिए चार पानी के समुचित सिद्धान्त (Four Waters Concept) का अब अपनाते हुए वषो जल, सतही जल, मृदा जल और भूजल के समुचित प्रबंधन पर विचार कर वसुन्धरा सरकार ने एक आश्चर्यजनक व अनूठा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को पहली बार शुरूआत 30 अक्टूबर 2015 से किया है, जिसमें केवल जल सम्बन्धित विभाग ही नहीं बल्कि समूचे प्रशासन के आठ बड़े विभागों जलग्रहण, जल संसाधन, भूजल, जन स्वास्थ्य, पशुपालन, कृषि और उद्यान, वन एवं ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज) को जोड़ते हुए स्थानीय आम जन की भागीदारी के साथ ही गैर सरकारी संस्थाओं, उद्योग जगत की सामाजिक सरोकार शाखाओं, सामाजिक-धार्मिक संगठनों इत्यादि को जोड़ा गया है। स्थानीय आम जनों के साथ ग्राम स्तर पर ग्राम सभाओं की जिम्मेदारी अधिकाधिक निश्चित करने के साथ ही ब्लॉक स्तर पर बीडीओ और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर को विशेष जिम्मेदारी सौंपते हुए इन्हें कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए उचित अधिकार दिये गये हैं। मुख्यमंत्री के स्तर से लेकर ग्राम पंचायत के स्तर तक सात (7) समितियों का गठन किया गया है। कार्यक्रम की सफलता निश्चित करने के लिए कार्यक्रम की लगातार मोनिटरिंग एवं प्रगति समीक्षा, कार्यक्रम के सफलता के सूचकांक एवं जल स्वावलम्बन अभियान के संक्षित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पहले से अभियान के निम्न आठ (8) परिणाम पाना घोषित किये गये है।
  1. जलग्रहण क्षेत्र की मुख्य धारा में मई अप्रेल तक प्रवाह रहेगा, 
  2. वर्षा आधारित कुल बारानी क्षेत्र के 40 प्रतिशत क्षेत्र को सिंचित किया जा सकेगा 
  3. मुख्य धारा के जल प्रवाह में गंदलेपन की मात्रा कम होगी,
  4. भूजल गर्मी में भी पेयजल आवश्यकता एवं सदाबहार वृक्षों की सिंचाई हेतु उपलब्ध रहेगा,
  5. वर्तमान में 30 मीटर पर उपलब्ध भूजल की 3 मीटर पर उपलब्धता रहेगी, 
  6. गांव सुखा अकाल से मुक्त होकर टेंकर जल आपूर्ति से मुक्त हो जायेगा, 
  7. गिरते भूजल स्तर में ठहराव के साथ भूजल स्तर में अशांतित वृद्धि होगी
  8. सिंचित क्षेत्र में वृद्धि होना इत्यादि। 

चित्तौड़गढ़ जिले में 27 जनवरी से 16 जून 2016 तक 178 गांवों में 96.42 करोड़ रूपयो की योजनाएं क्रियान्वयन की जायेगी। आशा है कि प्रत्येक आमजन, निर्धारित विभाग, संस्थाएं एवं संगठन अपनी पूर्ण भागीदारी व भरसक भागीरीथी प्रयासों से जिम्मेदारी निभाते हुए सुझबुझ व कठोर परिश्रम द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान को कामयाब बनाने में सफल होंगे। पहले से उपरोक्त घोषित परिणाम पाने की दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हुए इन्हें पाने के लिए पूर्ण प्रयत्न अनिवार्य है। धन्यवाद !
जीवन के अंधेरे को भगाने के लिए प्रकाश चाहिए,
आंधी, तुफान को दबाने के लिए साहस चाहिए।
जीवन के पल-पल को सूखी बनाने के लिए प्रयास चाहिए,
किसी व्यक्ति का भला करने के लिए विश्वास चाहिए।


Friday 1 January 2016

चित्तौड़ गौरव जागृति अभियान 2016

विकास व अच्छे परिवर्तन स्वरूप नव वर्ष 2015 पर अभिनंदन एवं हार्दिक शुभकामनाएं।
। चित्तौड़ गौरव जागृति अभियान |
चरित्र विकास ही आधुनिक विकास की बुनियाद है। चरित्र विकास पर ध्यान दीजिये।
अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
नव वर्ष 2016 में लाये घर पर खुशियां हजार, कर देश का कल्याण दिखाए चित्तौड़ के संस्कार व चमत्कार
प्रिय बंधुओं, चित्तौड़ वासियों,
नव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं कि यह बहुत शुभ मंगलमय हो। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमें चित्तौड़गढ़ जैसी विश्व विख्यात नगरी व दुर्ग की पवित्र छाया में पलने और रहने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। नव वर्ष के उपलक्ष्य में हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रत्येक चित्तौड़ निवासी बालक से लेकर किशोर युवा वयस्क वृद्ध एवं वयो वृद्ध महान चित्तौड़ धरा की आन, बान, शान, गरिमा मर्यादा, गौरव, शौर्य स्वाभिमान व त्याग को सदा बनाये रखेंगे। यहां की प्रकृति की शुद्धता व पवित्रता को दुषित नहीं होने देंगे। पर्यावरण की रक्षा करना हमारा प्रथम दायित्व है। लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष चित्तौड़ दुर्ग देखने आते हैं क्योकि
  • चित्तौड़ दुर्ग की कला कीर्ति, संस्कृति, यश, वैभव, शौर्य, सूरज के समान शिखर पर वीर शौर्यवंशियों ने विरासत में दी है। शूरवीर महाराणा प्रताप की मर्यादा, मीरा की भक्ति, पमिनी का जौहर और पन्नाधाय का त्याग बलिदान, महाराणा कुम्भा की विजय, राणा सांगा, गौराबादल, फता, कल्ला, जयमल और बाग सिंह की वीरता का चीरस्थाई इतिहास, चित्तौड़ की मिट्टी के कण-कण में विद्यमान है।