Saturday 23 July 2016

महाराणा प्रताप जयंती, (शौर्य दिवस)

7 जून 201 6 को गायत्री संस्थान ने मथुरा से पधारकर महाराणा प्रताप की जयंती के शुभ अवसर पर "शौर्य दिवस" चित्तौड़ जनहित अभियान के सभी सामाजिक संगठनों व आमजन के साथ मिलकर मनाया जो पूर्ण सफल रहा। सवाल है कि चित्तौड़ वासियों को क्या प्रेरणा मिली ! क्या बदलाव आया? सोचें, समझें और अपनी जीवन शैली को “बहादुर और बेदाग" बनायें।
इसी संदर्भ में यह परचा पेश है:-

"चित्तौड़-मेवाड़ के आज के सम्माननीय वीर और वीरांगनाओं मेवाड़ की मर्यादा का पालन करो अभियान"

शौर्य, वीरता, साहस, स्वाभिमान, शक्ति-भक्ति, त्याग और गौरव की है मेवाड़ की कहानी, करो सबका मान-सम्मान और बोलो श्रेष्ठ मिठी-वाणी
प्रतिदिन योग साधना करो, गलत लालच व आलस्य छोडो चित्तौड़ मेवाड़ की तस्वीर बदलो तकदीर बदलो
प्रिय मेवाडयाशियों,
आज का आर्थिक युग है। हर इंसान को फायदेमंद रोजगार व कारोबार तथा अधिक से अधिक पैसा कमाने का बड़ा लालच व चिंता सताई रहती है। फिर भी इंसानियत के नाते प्रत्येक नर-नारी का फर्ज बनता है कि स्थानीय इतिहास, परम्परा और मर्यादा का सह निर्वहन करे। बच्चो को संस्कार दे व निष्ठा और बड़ी इमानदारी से जीवन की जिम्मेदारियां निभाते हुए व्यवहार कुशल बनकर रहें। जिसमें कोई पैसा खर्च नहीं होता है। सच्चे कर्म और पुरूषार्थ के साथ-साथ गरीब, सामान्यजन, अमीर, राजकीय अधिकारी-कर्मचारियों और लोकप्रिय नेताओं का मान-सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का धर्म व कर्तव्य है।
मेवाड़ में चित्तौड़ का अग्रणीय स्थान है। यहां के कई पूज्यनीय वीर-वीरांगनाओं ने विश्व प्रसिद्ध इतिहास रचा है। जिनमें शुरवीर महाराणा कुम्भा, सांगा, प्रताप एवं महारानी पदमिनी, मीरा तथा धन्नाधाय और परमवीर योद्धा गोरा-बादल, कल्ला, जयमल, फत्ता, व बाघसिंह का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
हल्दीघाटी के शूरवीर योद्धा ग्वालियर महाराजा रामशाह तोमर (तंवर) व इनके तीन कंवर व भंवर, झालामान व पठान हकीम खां सूरी जो युद्ध में शहीद हुए तथा भामाशाह व राधा पूजा का नाम भी पूजनीय है। मेवाड़ की मिट्टी और मारवाड़ की रेत दोनो का शौर्य व गौरवमयी इतिहास है। ऐसी महान विश्व प्रसिद्ध मेंवाड़ धरा पर यहां सौभाग्य से हमें रहने को मिला है। लेकिन क्या हम इस पूज्य धरा की प्रसिद्धि को अपने विचार, गुण व कर्म से बनाए रखने का परिचय दे रहे है। सुदृढ बन रहे। शायद नहीं। तो आईये गम्भीरता से सोच विचार कर अपने कर्तव्य को निभाने का सहर्ष सामूहिक प्रयास करें। बुराईयों से दूर रहे। केवल अच्छे गुण अपनाएं। स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है लेकिन जन्म के बाद कर्त्तव्य भी उतना ही अनिवार्य है।
नागरिक वर्गः घर-बाहर, मौहल्ले की स्वच्छता रखते हुए वीरतापूर्वक बड़ी शालीनता व भाईचारे से अपराधरहित रहें। एक दूसरे की हर तरह मदद करें। धनी धन का दान करें। याद रहें देश की संस्कृति के रक्षक विशेषतया गरीब व नारी पर कोई अपमान व अत्याचार नहीं हो।
विद्यार्थी व टीचर वर्गः स्कूल, कॉलेज व विश्व विश्वविद्यालय का श्रेष्ठ शिक्षा संबंधि वातावरण बनायें। गंदी राजनीति से दूर रहें।
व्यापारी व कारोबारी वर्ग: अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएं उचित दाम पर बेचे ।दिल बड़ा रखें, कालाबाजारी से दूर रहें। चित्तौड़ को देश का एक आदर्श विकसित जिला बनावें।।
उद्योग वर्गः अपने मुनाफे का कम से कम एक चौथाई हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करें और बड़प्पन का परिचय दें। समाज से सम्मान पायें।
ग्रामीण किसान वर्ग: जैविक खेती करने का प्रयास करें। पशुधन विशेषकर देशी गाय को अपनायें।गावों को आदर्श गावं बनाने में सहयोग करें। नगर परिषद व ग्राम पंचायत सर्गः चित्तौड़ शहर व इससे लगते गावों को हेरिटेज रंग दें और पर्यटन को बढ़ावा दें।
अधिकारी व कर्मचारी वर्ग: ईमानदारी व समर्पण भाव से लोक सेवा करें। रिश्वतखोरी से दूर रहें। चित्तौड़ मेंवाड़ के इतिहास की लाज रखें।
पेंशन धारी वर्गः शुद्धा व निष्ठा भाव से सामाजिक सेवा पर ध्यान दें। सामाजिक बुराईयों से लड़ने का साहस दिखाएँ।
धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक नेता वर्ग : स्थानीय समाज को विकसित करने का कृपया सच्चे दिल से भगीरथ प्रयास करें।
! जय भारत माता ! ! जय हिन्द ! || जय राजस्थान || ! जय मेवाड़ ! ! जय चित्तौड़ !