Tuesday 22 March 2016

जल दुरुपयोग रोकथाम जागरूकता अभियान

राष्ट्रीय जल दिवस 22 मार्च 2016

जल दुरुपयोग रोकथाम जागरूकता अभियान

(राजस्थान मुख्मंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के संदर्भ में)
जल ही जीवन है आत्मा-परमात्मा है, जल का नहीं करो कभी दुरूपयोग
मानवता रहेगी जिंदा तभी जब, जल की बूंद-बूंद का होगा सही उपयोग
प्रिय बधुओं,

जल देव की जय हो

  1. प्रत्येक प्राणी धरती मां पर पंच तत्व- हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है। हवा के पश्चात पानी का जीवन में सर्वाधिक महत्व है। इसीलिए कहते है अच्छा जीवन जीना है तो पेड़ लगाओं, पानी बचाओं और सुर्य (अग्नी) को नमस्कार करो। सूर्य की अग्नि से ही सभी खाद्य पदार्थ (फल) पैदा होते है व जीवन स्वास्थ्यप्रद बनता है। आधुनिक विकास की दौड़ में हम हवा और पानी को दिनों दिन जहरीला बनाते जा रहे है। अत्यधिक सुविधाओं की हौड़ में आलसी व अनैतिक बन प्रदूषण फैलाकर जीवन लीला को ही समाप्त करने का खतरा मोल ले रहे है। जल संबंधित कई अभियान केन्द्रीय/राज्य सरकार चलाती है उससे हमें जागरूक बनना जरूरी है। 
  2. जल हमारे पीने, नहाने, घरेलु कार्य, कृषि सिंचाई, उद्योग–कारखाने, ग्रामीण-शहरी विकास, बिजली उत्पादन सभी निमार्ण कार्य व मनोरंजन इत्यादि जीवन के हरेक पहेलू में उपयोग होता है। इसलिए कहते है-जल ही जीवन है एवं जल है तो कल है।'' 
  3. पुराने समय में जल की उपलब्धता कोई समस्या नहीं थी। कुएं, बावड़ी, तालाब, नदी-नालों से स्वच्छ जल उपलब्ध था। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, आदर्श जीवन जीने के तौर-तरीकों में कमी आई, गांव-शहरों का फैलाव हुआ व उद्योग धन्धे बढे एवं पेट्रोल-डीजल आधारित यातायात के साधन बढे जिससे प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ हम आलसी बन प्राकृतिक सम्पदा के प्रति लापरवाही बरतने लगे। हमारा जीवन संकट बढ़ता गया। प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 6000 घनमीटर से घटकर 500 घन मीटर रह गई और अत्यधिक रासायनिक वस्तुओं के प्रयोग से जल दिनो दिन जहरीला होता जा रहा है। 
  4. पृथ्वी पर अथाह समुद्र जल है जो बहुत खारा व सीधे उपयोग के लायक नहीं है। बादल बन जो वर्षा से मीठा जल उपलब्ध होता है, उसे चार भागों में बांटा जा सकता है- वर्षा जल, सतही जल, (नदी-नाले, तालाब एन्क्रिट, बाँध इत्यादि), मृदा जल एवं भूजल (कुएं, बावड़ी, बोरवेल/ट्यूबवेल इत्यादि)। इन सब जल के उपयोग के बाद जो दुषित जल बनता है वो पांचवा प्रदुषित जल एक बड़ी समस्या है। 
  5. आज घर गांव-शहर से लेकर खेत-खलिहान, उद्योग कारखाने, बिजली संयत्र सभी जगह जल के दुरूपयोग एवं रासायनिक वस्तुओं के बेहद उपयोग के अलावा मल-मुत्र निपटान व साफसफाई पर हमारा ध्यान नहीं होने से जल बड़ी तेज गति से प्रदूषित हो जहरीला होता जा रहा है। बोतल बंद पानी का उपयोग करोडो रूपयों का व्यापार बन चुका है। कब तक ऐसा चलेगा। अतः हम अच्छी तरह जागरूक बन प्रत्येक पढ-अनपढ नर-नारी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जल के दुरूपयोग की रोकथाम नहीं करेंगे तो पृथ्वी पर मानव व अन्य जीवों की जीवन लीला ही समाप्त हो जायेगी। कृपया सावधान हो, आलस्य त्याग व  चिन्ता करके जल का उचित मात्रा में सदुपयोग करें तथा शासन-प्रशासन के आज के "मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान" में भी पूर्ण सहयोग दें। धन्यवाद्।

जीवन के अंधेरे को भगाने के लिए प्रकाश चाहिए, आंधी, तुफान को दबाने के लिए साहस चाहिए।
जीवन के पल-पल को सुखी बनाने के लिए प्रयास चाहिए, जन-जन का भला करने के लिए विश्वास चाहिए।