Saturday 1 February 2014

जनप्रतिनिधि जागकता अभियान

कृपया सोचे और समझे कि-विचार से कर्म, कर्म से आदत, आदत से चरित्र, चरित्र से भविष्य निर्माण

जनप्रतिनिधि जागकता अभियान

‘जनप्रतिनिधि हों ज्ञानी, हो उनमें जन सेवा की घोर ललक
सक्रिय हो रहे चरित्रवान, परहित का सोचें पाक-पलक
(सौजन्य से)
अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
जनप्रतिनिधि वे कृपया बने जिसे गलत पैसा बनाने की नहीं हो आस और सदा दूर इस भड, चोर और बदमाश
कदम, कलम और कसम सोच कर उठाओ
फर्ज, भर्ज और कर्ज बिना तर्क तुरंत निपटाओं
आदरणीय जनप्रतिनिधीगण,
सादर प्रणाम
अति सौभाग्यवश भारत में हमारे लाखों पूर्वज ज्ञानी, परिश्रमी, त्यागी और अथाह चरित्रवान पूजनीय राष्ट्रपप्रिय महानपुरूषो के संकल्प एवं गौरव व स्वाभिमान भरे उत्तम कृत्यों से 15 अगस्त 1947 को लोकतंत्र का उदय हुआ। उनमें जो हर पलक देश सेवा की ललक बनी रहती थी वो स्नेह भावना आज के महापुरूष कहलाने वाले जनप्रतिनिधियों में पूर्ण दृष्टिगत नहीं होती दिखाई पड़ती है। हर कोई सामान्य नागरिक के मुंह से आज यही आवाज दुखी मन से निकलती है कि साहेब! चुनाव के समय प्रत्येक जनप्रतिनिधि बनने के इच्छुक आदरणीय उम्मीदवार जनता को घर-घर जाकर कई वादे करते है, पैर छूते है और जनप्रतिनिधि बनते ही सब वादे छोड़कर चाहे वे किसी पार्टी के हो वादे भूल जाते है और शासन-प्रशासन पर डरा धमका कर दबाव बना अवैध पैसा बनाने में लग जाते है। इससे विकास के हर निर्माण कार्य की दुदर्शा बनी हुई है। शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है। नैतिकता डांवाडोल हो गई है। क्या अधिकतर ऐसे लालची माननीय जनप्रतिनिधिगण भ्रष्टाचार में भरोसा रखने वाले हमारे महान लोकतंत्र। को लम्बे समय तक सुरक्षित रख पायेंगे? इस अत्यंत महत्वपूर्ण सवाल के समाधान के लिए "जनप्रतिनिधि जागरूकता अभियान" हर स्तर पर जरूरी है जो निम्न तथ्यों पर आधारित है। कृपया जनप्रतिनिधिगण क्षमा करे की इनकोः
  1. यह कि हमारे पूर्व महानपुरूष महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष, अम्बेडकर, सरदार पटेल, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर, विवेकानन्द, दयानंद, शास्त्री, तिलक,महावीर, बुद्ध, गुरूनानक, तुलसी, सुरदास, कबीर, रविदास, महाराणा प्रताप, मीरा, घमिनी, पन्नाधाय, शिवाजी, रानी झासी, जयनारायण प्रकाश, लोहिया, दीनदयाल, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, भगतसिंह और एपीजे अब्दुलकलाम जैसे कई राष्ट्रप्रेमियों के कृत्यों व सर्वोच्च त्याग की स्मृतियों को तरोताजा बना कर रखना होगा तथा उनके बनायें सिद्धांतो व पदचिन्हों पर चलना होगा। इनकी तरह सभी स्तर के जनप्रतिनिधियों व शासन के दावेदारो को जनता के बीच उच्च प्रेरणादायक बनना होगा। |
  2. यह कि ग्रामीण व शहरी जीवन व जनसेवा के प्रत्येक पहलु, मुल्य व महत्व - व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामुदायिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं आध्यात्मिक रहत्य को समझना होगा। बाल, युवा छात्र-छात्राओं, महिलाओं असहाय, विकलांग, गरीब, बेरोजगार और वृद्धों का विशेष सम्मान करते हुए उनकी समस्याओं एवं कष्टों को दूर करना होगा। 
  3. यह कि चरित्रवान, परिश्रमी, ईमानदार व शिष्टाचारी बन त्याग एवं नैतिकता की भावना को अपनाते हुए प्रत्येक विकास के | विषयज्ञान की पूर्ण जानकारी प्रचलित कानुन तथा नियमों का ज्ञान रखते हुए जनसेवा में शारीरिक बल, मानसिक बल, मनोबल एवं आत्मबल का प्रयोग करते हुए सदा सक्रिय रहना होगा। किसान, व्यापारी व उद्योग वर्ग का भी ध्यान रखना होगा। 
  4. यह कि संसाधन, साधन, समयपालन, समानता, योग्यता, निर्माण कार्यो की गुणवता, सहयोग, न्याय, और जनसहभागिता का हर योजनाओं के स्थानीय लोककार्यों में संतुलन बनाये रखते हुए पर्यावरण को शुद्ध बनाये रखना होगा। 
  5. यह कि कुशल नेतृत्व को जीवन के प्रत्येक पहलु पर दर्शाना होगा। 

धन्यवाद ! जयहिन्द ! जय राजस्थान ! जय चित्तौड ।