Wednesday 1 January 2014

जन कल्याण संबंधी सामाजिक अपील

विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़ की ऐतिहासिक यादें क्या है?
पद-1 :- वीरता,शक्ति, भक्ति, त्याग और, बलिदान की भरी यहाँ की है शहादत ! :
गौरव और स्वच्छ पर्यावरण, हरीयाली भरी चित्तौड़ महान की सदा रही विरासत ।।
वर्तमान में नागरिकों के प्रचलित वादे क्या है ?
पद-2:- पेड़-पौधे लगायेगें, प्लास्टिक हटायेंगे, घर-गाँव-शहर का सौन्दर्य और आर्थिक गौरव बढ़ायेगें !
अच्छी शिक्षा सोच बनायेंगे, साफ -सफाई व ईमानदारी अपनायेंगे, चोरी, रिश्वतखोरी, और भ्रष्टाचार मिटायेंगे। - डॉ. भगवत सिंह तंवर

जन कल्याण संबंधी सामाजिक अपील-अभियान

-:अच्छे दिन कैसे आयेंगे:- 

देश प्रदेश के नेतृत्व से प्रार्थना !
कथनी करनी में न आने दो कोई अन्तर
राज चले अच्छा न हो धरना जन्तर मन्तर
गरीब अमीर के बीच का कम करो अंतर
करो सब फैसला जनता का दिल जीतकर
-: सौजन्य से :-
अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान, चित्तौड़गढ़ (राज.)
अच्छे बुरे दिनों के लिए कृपया निम्न सारणी में व्यक्ति विशेषे एवं संगठन की विशेषताएँ एवं विषमताएँ पर विचार मंथन करें !



प्रिय बंधुओं,बहनों और भाईयों,

अभिनन्दन-सादर नमस्कार!

भारत में नई सरकार आने से र्निविवाद एक बड़ा मनौवैज्ञानिक(अन्तर-आत्मा )में अच्छा सकारात्मक परिवर्तन आया है ।देशवासी मोदी सरकार से कई उम्मीदों के साथ दूरगामी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की अपेक्षा रखते हुएँ "अच्छे दिन''आने की इन्तेजार में है। विदेशों में भारत का बड़ा मान बढ़ा है ।परिवर्तन लाना आंख मिचौली का खेल नही है। पिछले कई वषों से देश में जो सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और, राजनितिक गिरावट आई है, इनमें हिमालयन सुधार की आवश्यकता है । प्रधानमंत्री श्रीनरेन्दमोदी या प्रदेशको मुख्यमंत्री वसुंधराराजे अकेले जन भावना के अनुसार चाहे गये परिवर्तनको नहीला सकते ।यह तभी संभव है जब सम्पुर्ण जनमानस एवं देश-प्रदेश के सभी सांसद-विधायक उपरोक्त सारणी को पद-समझ सहयोगी व प्रयत्नशील बन अच्छेदिन लाने के लिए नया भारत- नया युग'की विचारधारा को सार्थक रूपर्दे सकते है।
जाति, समाज, भाषा, धर्म एवं राजनेतिक भेदभाव व अंधविश्वास तथा व्यतिगत हित से उपर उठकर देश हित में हर स्तर पर अगर हम नैतिकता, समता, बंधुता व सक्रियता से सकारात्मक भाव (Positive Thoughts) तथा वैज्ञानिक सोच रखकर बात, बहस और कड़ी मेहनत से कार्य करेंगे तो हमारे भारतवासियों के अच्छे दिन अवश्य आयेगें नहीं तो जो पिछले कई सालों से भिक्षावर्ति (अनुदान), आरक्षण पर आरक्षण, भ्रष्टाचार, चोरियां, दुर्घटना, विवादव रेलियों के दुःखद माहौल में हमारी जिंदगी ऐसे ही लड-खडाती हुई चलती रहेगी। यह भी विचारने लायक बात हैं कि भारत में कई महान विभुतियां हुई जिनके उपदेश एवं कार्य सदा मानव कल्याण में रहे, लेकिन हमने व्यतिगत स्वार्थ हेतु उन्हे पुर्ण रूप से नहीं अपनाया, जिससे''सोने की चिडिया' कहलाने वाला यह भारत महान आज विश्व में मजबूत मिठ्ठीका बनकर भी नहीं रह पाया। विचार करें।
धन्यवाद ! जयहिन्द !