Thursday 12 November 2015

पर्यावरण बचाओ अभियान

जनहित अभियान सं. 10 
राष्ट्रीय महान शुभ त्यौहार दीपावली पर सत सत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ

दिवाली है बड़ा रोशनी का त्यौहार 
खुशिया दे गरीब-अमीर को कई हजार 
फटाके, बम हैं जहरीले प्रदूषण के औजार
अपनाओं नही इनकों, दो केवल बधाई बार बार 

| श्री राम व माता सीता का मिले आशीर्वाद माई लक्ष्मणजी का हो सहयोग-जीवन में खुशियों का बना रहे सदा योग! 

सम्मानीय चित्तौड़वासियों,
दीपावली के महान पर्व पर ढेरों बधाई व अभिनन्दन !
 हमारे महान् प्रिय भारत देश में त्यौहारों का प्रत्येक देशवासी के मूल्यवान जीवन में अत्यन्त महत्व है, जिन्हें अवश्य ही बड़े भाईचारे व खुशी से मनाना चाहिए। त्यौहार के दिन किसी प्रकार का कोई भेदभाव व दुर्भावना किसी के प्रति नहीं होनी चाहिए और बल्कि सदा-सदा निरंतर सच्चे दिल से हर एक इंसान की भलाई सोचनी चाहिए जिससे आपसी स्नेह प्रेम बना रहे। कृपया सोचियेः
•पहला कि दीपावली के दिन जितनी टनों मिठाईं जीवन में मिठास भरती है, उतनी ही टनों आतिशबाजी,फटाके,बम से निकली जहरीली हवा व खतरनाक आवाज प्रदूषण फैला कर जीवन में कड़वाहट भर कई हमारे बच्चे व भाई-बहन को अस्पताल के दरवाजे पर पहुंचा देती है। कई कुछ का तो जीवन सदा के लिए बर्बाद हो जाता हैं। दूसरा कि अधिकतर आतिशबाजी का सामान विदेश से चीन करोड़ों का व्यापार के लालच में भारत भेज रहा है जो अधिक जहरीले है व घटिया किस्म के हैं। इससे दो तरफा भयानक नुकसान हो रहा है-एक तो बड़े दर्द भरे प्रदूषण से स्वास्थ्य हानि और हमारे से ही पैसा कमा कर चीन अपने आप को विश्व में।

आर्थिक ताकत बन तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर हमें मूल से खतम करने पर तुला है। क्या आप चीन को ताकतवर बनाना चाहेंगे ? कृपया बच्चे, किशोर,E युवा व वयस्क मिलकर दिवाली मनाने का सही उचित तरीका अपनायें और हमारे मूल्यवान पर्यावरण को बचाने में अहम भूमिका निभावें। धन्यवाद!
! जयहिन्द ! जय राजस्थान ! जय चित्तौड़ ! अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
(चित्तौड़ीखेड़ा, चित्तौड़गढ़ (राज.)) आँ. भगतसिंह तंवर (तोमर) ।
श्रीमती देवेन्द्राकवर पूर्व चीफ इंजीनियर, अध्यक्ष
समाज उत्थान कार्यकर्ता +91 9413315843
| 01472-235710 | | कृपया पढे, पढावें और अभियान पत्र को फाड़े नही व फेंके नहीं। शुभ दीपावली 11 नवम्बर 2015
। श्री देवनारायण प्रिन्टर्स-9252534608, 12000 प्रतियां






Saturday 15 August 2015

यह मेरा हिन्दुस्तान अभियान

आजादी नामा ( 59 ) 15 अगस्त 2015

(यह मेरा हिन्दुस्तान अभियान)

आजादी निजी धन सम्पति बटोरने के लिये नहीं
राष्ट्र के वैभव, गौरव व साहस सम्मान के लिए पाई है।
(दान करो, बलिदान करो, राष्ट्र का सम्मान करो)
आजादी के लिए मर मीटे लाखों दिवाने और कई राष्ट्र-रत्न इन्हें सत् सत् नमन और हार्दिक श्रृद्धांजलि
| जय हिन्द !
सम्मानीय देश प्रेमी चितौड़गढ़ मेवाड़ के सभी देशवासियों,
राष्ट्र के इस महान स्वतंत्रता दिवस के पवित्र पर्व पर श्रेष्ठ अभिनंदन व हार्दिक शुभकामनाएं !
आज हम सभीदेशवासी मिलकर देश का 69 वां स्वतंत्रता दिवस बड़ी हंसी खुशी से मनाने जा रहे है। इतने वर्ष स्वतंत्रता के बीत जाने के पश्चात भी देश के सभी गांव शहर के 126 करोड़ देशवासियों को जीवन की वो समान सुख-सुविधाएं एवं आपसी घनिष्ट स्नेह-प्रम नहीं मिल पाया हैं, जो प्राप्त होना चाहिए था। कारण हम सभी जानते है जिनकी यहां व्याख्या व चर्चा करना जरूरी नहीं है।
अब तो सीधी बात पर आकर दिल की गहराई से "विश्वासपूर्वक संकल्प ले" कि,
  1. बिना किसी भेदभाव व मनमुटाव के बुद्धिमान व सुशिक्षित बन अच्छे नागरिक की हैसियत से हम हिन्दुस्तानी एक दूसरे का दुख-दर्द समझते हुए, विभिन्न भाषा जाति धर्म अपनाते हुए, प्रत्येक भाई बहन का भला चाहेगें व किसी को गरीब एवं कमजोर नहीं रहने देगें।
  2. व्यक्तिगत, परिवार, समाज, समुदाय व राष्ट्रस्तर की कई प्रचलित बुराईयों को मिटाते हुए केवल और केवल अच्छाईयों को बढ़ाते हुए रात दिन परिश्रम कर देश का वैभव, गौरव और सम्मान सारे विश्व में बढ़ाने के भागीरथ प्रयास करेंगे।
  3. हमारे महान मार्गदर्शी पर्व के त्यागी राष्ट्र नेताओं, जिन्होनें आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर अपने पूर्ण बहुमूल्य जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी महान प्रेरणा और आशीवाद से आपसी मनमुटाव समाप्त कर तेज गति से आगे बढ़ अपने हिन्दुस्तान में रामराज्य स्थापित कर इसे विश्व में पहला दर्जा दिलवायेगे, जिसका आजादी के आखिरी सालों में महात्मा गांधी (बापू ) ने सपना देखा था। 
  4. रामराज्य और प्रजातंत्र का मतलब है कि हम प्रत्येक नागरिक अपने शारीरिक बल, मानसिक बल, बौद्धिक विवेक बल एवं आत्मबल को ताकतवर बना, बिना किसी प्रकार के अनुदान भीख में विश्वास रखते हुए, समानता के आधार पर योग्य बन मेहनतपूर्वक कार्य करेंगे। 
  5. जनजागरूकता, जन चेतना व जनएकता के बल पर आज के प्रतिष्ठित नेताओं के बिना कोई आलोचना किये उन्हें राजधर्म के सही मार्ग पर चलने को मजबूर करेंगे, क्योंकि प्रत्येक चुनाव के पश्चात् पांच वर्षों तक हमें राज इन्हीं आदरणीय नेताओं के द्वारा चलवाना होता है । बिना ठोस वजह के विरोध, रैलियों, धरने व नारेबाजी, तोडफोड व नेताओं के पुतले जलाने इत्यादि में समय बर्बाद करना उचित नहीं । यही पवित्र धारणा देश की संसद व विधानसभाओं में विपक्ष के माननीय नेताओं को सोचकर गंभीरतापूर्वक देश के सर्वमान्य विकास व उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए, तभी हमारी 126 करोड़ जनता का सही मायने में भला हो पायेगा । जय हिन्द !

मुस्कराते रहो तो सारी दुनियां आपके कदमों में होगी।
रोते हो तो हर इंसान आपको बोलेगा एक बड़ा ढोंगी।
अनुभव से बोलने वाला कहलाता है समाज में भूगत भोगी
गरीब - कमजोर का जो हौसला बढ़ाये कहलाता है वो योगी

राष्ट्रवादी बन नये दौर की लिखो नई आदर्श कहानी
सवा करोड़ हिन्दुस्तानियों रखो स्नेह-सफाई व पिओ साफ पानी
सत्यमेव जयते ! बोलो सच्चे दिल से अपनी हरेक जुबानी
बोलो आजादी के खातिर हम सब मर मिटेंगे अभिमानी व दानी

भाषा जाति धर्म हमारा है, केवल हमारा प्यारा हिन्दुस्तान
हम सब एक ही बगीचे के रंग रंगीले फूल हैं, इसकी पहचान


Thursday 18 June 2015

ग्वालियर महाराजा वीरवर रामशाह तोमर को हार्दिक श्रृंद्धाजली

‘‘जय हल्दीघाटी ! जय चित्तौडगढ ! जय मेवाड़'' !!
शूरवीरों की याद को शीतल खून खोल उठता है,
सोये भले मानुष को भी वीरता के कार्य करने का बल मिलता है।
(18 जून 1576 हल्दीघाटी महायुद्ध के सभी वीर-शुरवीर शहीदों की पुण्यतिथि पर नमन व श्रद्धा सुमन अर्पित)
स्वतंत्रता संग्राम का एक महान सूपात- प्रसिद्ध हल्दीघाटी युद्ध भुलाये बिसरे महान बलिदानी शहीद
ग्वालियर महाराजा वीरवर रामशाह तोमर को हार्दिक श्रृंद्धाजली 18 जून 2015
हल्दीघाटी के युद्ध में ही वीरवर रामशाह तोमर ( तंवर) के तीन शहीदी वीर सपुत्र
सम्मानीय प्रिय चित्तौड़-मेवाड़वासियों, सादर नमस्कार !
  1. 18 जून 1576 को स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिये दिल्ली के अकबर बादशाह से लड़े प्रसिद्ध हल्दीघाटी युद्ध' ने वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप तथा इस ऐतिहासिक युद्ध में शहीद हुए महाबली वीर पुरूषों एवं मेवाड़ का नाम भारत और सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित कर दिया। हल्दीघाटी के युद्ध से 9 वर्ष पहले सन् 1567 का चितौड़गढ़ पर अकबर के आक्रमण के दौरान महाराजा उदयसिंह द्वारा लड़ा गया चितौड़गढ़ युद्ध भी बड़ा प्रसिद्ध है। 2
  2. हल्दीघाटीके महायुद्ध में शहीद हुए बड़ीसादड़ी के झाला मानसिंह और सेनापति हकीम खां सूरी का नाम तो आम जनता जानती है। लेकिन युद्ध के दायें भाग का नेतृत्व करते हुए चम्बल घाटी के वीरवर ग्वालियर महाराजा रामशाह तोमर (तंवर) के साथ ही इनके तीन वीर बलिदानी सुपुत्र कुंवर शालीवाहनसिंह, भवानीसिंह व प्रतापसिंह तथा एक पौत्र 16 वर्षीय भंवर बलभ्रद सिंह भी तीन पीढ़ियों तक का राज परिवार बड़ी बहादुरी से लड़ते-लड़ते शहीद हो गया। इस बेमिसाल सर्वोच्चबलिदानके बारे में मेवाड़ में कुछही प्रबुद्धव्यक्तियों को मालूम होगा। 
  3. यह बात भी जानने वाली है कि महाराजारामशाह के साथ सन् 1558 में चम्बल घाटी से आये सैकड़ों तोमर( तंवर), भदोरिया, सिक्करवार, जादौन एवं परमार बहादुर राजपूत सरदार हल्दीघाटी में युद्ध करते हुए शहीद हो गये । उन्ही के कुछ परिवार एक के बाद एक महाराणा मेवाड़ की फौज में रह कर गेवाड़ को अपनी सेवायें पीढ़ी दर पीढी देते रहे। उन्ही में एक तोमर (तंवर) परिवार ग्वालियर के पास मुरेना जिले के ठिकाना बुधारा से आया और पहले चितौड़गढ़ दुर्ग पर फिर सन् 1950-55 में गांव चितौड़ीखेडा बसा कर दुर्ग के नीचे तलेटी में बस गया। जितने भी महान योद्धा हल्दीघाटी युद्ध में शहीद हुए है उन सबको हम सब मेवाड़-चितौड़गढ़ वासियों की हमारी हार्दिक श्रृद्धांजलि व नतमस्तक होते हुए उनके चरण कमलों में असीम नमन ।महाराजा रामशाह ने सन् 1567 में बादशाह अकबर खिलाफ चितौड़गढ़ युद्ध में भी अपनीशौर्यता दिखाई थी, जो महाराणा उदयसिंह के नेतृत्वमेलड़ा गया। 
  4. हल्दीघाटी युद्ध के लगभग 48 वर्ष बीत जाने के पश्चात् मेवाड़ के बुद्धिमान महाराणा करणसिंह ने झाला मानसिंह व हकीम खां सूरी के अलावा कस्बे खुमनौर से लगी हल्दीघाटी की रक्ततालमें सन् 1624 में वीरवर महाराजारामशाह तोमर( तंवर )वइनके कुंवर वीर पुत्रों वपौत्रकी याद में शिलालेखलगवा कर दो विशेष सुन्दर छत्रियां बनवाई जो आज भी उस महान बलिदान की याद दिलाती है। इतिहासकार गोपालसिंह राठौड ने "हल्दीघाटी, युद्ध का महान योद्धा राजा रामशाह तोमर( तंवर)'' नामक पुस्तक सन् 2011 में लिख छपवा एक प्रशंसनीय योगदान दिया है। 
  5. महाराज रामशाह तोमर (तंवर ) ने केवल शाहदत ही नही दी बल्कि पहले श्री जगमालसिंह को हटाकर सचाई पर डट महाराणा प्रताप को राजगदी पर बेठाने का भी प्रमुख योगदान दिया ।महाराणा उदयसिंहने महाराजारामशाह को ''शाहा के शाह''की उपाधि प्रदानकरने के साथ ही इनके बड़े कुंवर शालीवानसिंह के साथ गहाराणप्रताप की एक बहन की शादी भी करवा ग्वालियर राज परिवार को मेवाड़ प्रान्तका रिश्तेदार बना लिया था। अगर प्रताप मेवाड़ के महाराणा नहीं बन पाते तो मेवाड़ का भारत व विश्व के साथ इतिहास ही नहीं जुडपाता। ऐसी महान विभूति ग्यालियर महाराजा रामशाह तोमर( तंवर) को हम मेवाड़ की जनता नतमस्तक होकर जितनी बार याद करे वनमन करें वो भी कम मानी जानी चाहिए। 
  6. अफसोस है कि तीन पीढ़ियों तक के एक साथ बाहर ग्वालियर से पधारे महाराजा रामशाह तोमर (तंवर) के आश्चर्यजनक सर्वोच्च बलिदान को सन् 1624 के पश्चात् इस महान ऐतिहासिक घटना को स्थानीयमेवाड़महाराणावइतिहासकार यथाउचित तौर पर उजागर नहीं रख पायें। अब भी इस महान विभूति की यादगार को आगे बढ़ाते रहने से जनमानस को अच्छी प्रेरणा मिलती रहेगी। मेवाड़ की गौरवशाली जनता महाराजा रामशाह के उपरोक्त अमूल्य योगदान एवं सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक शहादत को बिना प्रचलित किये नहीं जान पाई। सच्च है कि महाराजा रामशाह तोमर (तंवर) का नाम लिए बिना हल्दीघाटी और मेवाड़ का इतिहास सदाअधूरा समझा जायेगा। चलिये कोई शिकायत शिकवा नहीं --"जो दृढ़राखे धर्म का, तिहि राखे करतार''।आदर भाव के साथ धन्यवाद! जयहिन्द!