Monday 6 October 2014

वृद्धजन दिवस व गांधी जयंती

वृद्धजन दिवस व गांधी जयंती के
शुभ अवसर पर संवेदना
सुनो ! दु:खी आमआदमी की खरी-खोटी आवाज।
प्रभावी सामाजिक जा चेतना, जागरूकता, सक्रियता और
सेक्टर मोहल्लेवार जरुरी है मजबूत जान-कल्याण मंच का गठन
  • राज बदले या ना बदले, आता नहीं कोई बदलाव और जनता की किस्मत भी नहीं बदल पाती -वैसा ही दुःखी माहौल, रैलिया, धरने, हड़ताल, लड़ाई - दंगे, झगड़ा - फसाद, चोरिये, भ्रष्टाचार बलात्कार खुदकुशी, जमाखोरी, चोर बाजारी, उँची कीमत पर नकली सामान बेचने का चलन, रिश्वत खोरी, कमीशन खोरी से घटिया सार्वजनिक निर्माण कार्य और सड़को में खड्डे तथा भवनों में दरारे लेकिन बदनाम होते ठेकेदार, सड़क - गलियों में कूड़े-कचरे व गन्दगी का ढेर ओर पशुओं का बोल - बाला, बिना नियंत्रण व रात को बिना डिप्पर मारे तेजी से दौड़ते ट्रोले, ट्रक व कई वाहन व खतरनाक दुर्घटनाएँ अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और मरते मरीज, फैक्ट्रियों में दुर्घटनाएँ, अधिकारी - कर्मचारी व फेक्ट्री मालिकों के बीच राजनेताओं की मारोममार, तबादला व एपीओ का डरावना व्यापार, सियासी बैठकों तथा जनसुनवाईयों व कागजी आंकडों का दिखावटीपन, फर्जीवाड़ा, अवैध खनन, जमीनी भू-माफियों का दबदबा बरकरार, बेरोजगारी, बिजली-पानी की किल्लत, बी पी एल व सामाजिक पेंशन में गडबड़िये, मनरेगा के घोलमोल परिणाम, सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम का डगमगाता खेल और उप चुनावों में दुर्भाग्यवश राज्य सरकार हुई फेल।
  • गरीब, मध्यम व अमीर जनता के विकास, उन्नति और खुशहाली में बाधक है पुराने ढर्रे पर चलता स्वार्थ भरा चापलूसी अंग्रेजी पारम्परिक प्रशासनिक लामजामा और अहंकारी राजनितिक ढाचा तथा सड़े-पुराने कानून और कोर्टों में लम्बी-लम्बी पेशीयें और बरसों बाद फैसले जिन पर भी अपीलों का ढ़ता दबाव एवं एक से दुसरी कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते-लगाते जूते ही नही घिसते बल्कि बैचारे आम आदमी का शरीर, दिमाग व आखिर में आत्मा भी घिसकर परमात्मा को प्यारी हो जाती है। तब तक भी अन्तिम सही फैसला नहीं मिल पाता है।
  • आज देश के आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी सोभाग्यवश भरसक कोशिश में लगे है कि देश में जनता को हर पेरशानी व पीड़ा से राहत दिलवाई जाये। क्या आप ग्राम पंचायत से लगाकर पंचायत समिति, नगर पालिका, जिला परिषद, विभिन्न स्तर पर प्रशासन जिले | से लेकर राज्य विधानसभा तक तथा शिक्षण-संस्थाएँ, जन प्रतिनिधि महानुभाव व आम नागरिक माननीय प्रधानमंत्री जी के कदम से कदम। मिलाकर उनका साथ देने को तैयार है? क्या अपने स्वयं की तरफ से भी जनहित के सभी कार्य निःस्वार्थ भाव से करने को तैयार हैं।
  • कृपया सोचिए और साहस व इमानदारी रख कर दिखाईये जन भलाई के सभी कार्य,जिससे आपका जीवन तो सफल होगा ही साथ ही देश के 125 करोड़ जनमानस का जीवन भी सफल हो जायेगा। आदर सहित ! धन्यवाद