Thursday 2 October 2014

स्वच्छ भारत अभियान

न गंदगी करूंगा, न गंदगी करने दूंगा
अभियान को खुशी से अपनावें और चलाए

स्वच्छ भारत अभियान

(पहले सफाई सप्ताह)
(2 अक्टूबर 2014 से देश भर में सफाई अभियान)

कचरा फेंकना, गंदगी करना, गंदगी में जीना, खुले में पेशाब व शौच-टट्टी करना तथा जल व हवा को गंदा करना बड़ा पाप है और पशुवत के समान जीवन जीना है। आप नेक इंसान हैं । कृपया पशुवत जीवन जीना 2 अक्टूबर को खुद झाडू लगाने स्वीकार न करें । गर्व और स्वाभिमान से मूल्यवान स्वच्छ मनुष्य जीवन जीएँ।

- डॉ. भगवतसिंह तंवर, पूर्व चीफ इंजीनियर पर्यावरणविद्
आजादी व लोकतंत्र गौरवमयी सुन्दर जिंदगी जीने को है, कुडे, कचरे और गंदगी में जीने को नहीं।
  1. निर्मल भारत अभियान.: पिछले कई वर्षों में “सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (TSC)' चल रहा है, जिसकी धीमी गति से परिणाम अधूरे रहे हैं। स्वच्छता आमजन के स्वास्थ्य, बेहतर आय, पोषण और तंदुरूस्त जिंदगी जीने का साधन है। 
  •  घर-घर व सार्वजनिक स्थान पर मुत्रालय व शौचालय बनाना जरूरी है। इनकी बड़ी कमी है।

स्वच्छता रखने के लिए 7 बिन्दू का अपनाना जरूरी है।
पहला-पेयजल स्वच्छ रखना। दूसरा - घर के गन्दे पानी का उचित उपयोग व निकास। तीसरा - मानव मल का सुरक्षित निपटान। चौथा- घर के कुड़े-कचरे व गोबर का सही निस्तारण। पांचवा- घर में रसोई व भोजन की स्वच्छता। छठा - शरीर की सफाई और सातवां -मौहले, गांव, शहर की सफाई
2. स्वच्छ भारत अभियान : विशेषकर उपरोक्त सांतवें बिन्दू के अन्तर्गत देश के शहरों और गांवों के हरेक मौहल्ले में गंदन नालियां और कचरे गंदगी के ढेर देखने को मिलते है। लोगों को रस्ते में चलते थूकना, दीवाल के सहारे पेशाब करना, मूंगफलीकेले व अन्य वस्तुओं के छिलके तथा बिड़ी-सिगरेट के टुकड़े बसों व रेल गाड़ी में छोड़ना व सड़क पर फेंकना, कागज व प्लास्टिक की थैलियां व पैकिंग फेंकना और गाजर घास को फैलते हुए व पशुओं को रस्ते पर देखना साधारण सी बात है। सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता बिल्कुल नहीं होने की वजह से आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान पूरे देश में प्रारम्भ किया जा रहा है। 26 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक “राष्ट्रीय स्वच्छता जागरूकता सप्ताह' का शुभारंभ हुआ है। प्रत्येक शहर-गांव में स्वच्छ पर्यावरण का वातावरण तथा स्वच्छ निरोगी समाज निर्माण के उद्देश्य से स्वच्छ भारत अभियान” बहुत महत्वपूर्ण और अहम है। 
  • विश्वभर के पर्यटकों को देश में आकर्षित करने के लिए विकसित देश की तर्ज पर व खासकर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चित्तौड़ के उच्च श्रेणी की स्वच्छता दोनों सार्वजनिक व निजी स्थानों पर जरूरी है, जिसमें श्रमदान द्वारा प्रत्येक नागरिक की सहभागिता-भागीदारी बहुत आवश्यक है। सभी विकसित विदेशों में हरेक नागरिक सहर्ष स्वच्छता की अपनी जिम्मेदारी निभाता है। जापान में स्कूल-कॉलेज के छात्र प्रत्येक दिन एक घंटे वहां की सफाई करते हैं। तो हमारे छात्र ऐसा क्यों नहीं कर सकते, कृपया सोचिए और सफाई व स्वच्छता के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं। केवल सफाई कर्मचारी के सहारे शहर-गांव साफ नहीं रखे जा सकते। सड़कों के किनारे पेड़ लगाने व उनकी देखभाल भी जरूरी है। 
  • निजी स्थानों को साफ-सुथरे-सुन्दर' रखने के अलावा कृपया आईये हम संकल्प लें कि बिना हिचक व.शर्म किये सप्ताह में एक दिन अवश्य सामूहिक श्रमदान कर सार्वजनिक स्थान-मौहल्ले की सड़कें, गलियां, नालियां, पार्क, बस स्टेण्ड, रेल्वे स्टेशन, जल स्रोत तालाब, एनीकट, नाले व नदियां अस्पताल, जन सुविधाएं, ज़न कार्यालय, बाजार इत्यादि साफ-सुथरे रखने तथा शहर-गांव में पेड़-पौधो जीवित रखने में पूर्ण योगदान करेंगे। गंदगी नहीं करेंगे एवं न गंदगी करने देंगे।