Friday 25 April 2014

जनहित जागरूकता अपील

बच्चों को बाल विवाह के पाप से बचाओं? सही उम्र में विवाह रचाओं!
। विवाहित जीवन सफल बनाओं!

जनहित जागरूकता अपील

बाल विवाह रोकथाम अभियान महाराणा प्रताप
सौजन्य से : अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान |
आत्मीय चित्तौड़ जिला प्रेमी बन्धुओं! जय एकलिंगनाथ की! सादर प्रणाम!
आप हम जानते है कि बाल विवाह कुछ जाति विशेष, गरीब वर्ग एवं निम्न सोच के परिवारों में आज भी प्रचलित है, जो पिछड़ेपन की निशानी के साथ ही सभ्य समाज तथा शासन-प्रशासन का चिन्ता का विषय है। बाल विवाह के मुख्य रूप से एक दर्जन (12) दुष्परिणाम निम्न प्रकार हैं:-
  1. बाल अवस्था में विवाहिक जिम्मेदारी का ना समझ होना एवं तनावपूर्ण जीवन जीना। 
  2. व्यक्तित्व विकास का रूकना/अवरूध होना यानि, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास का रूकना।
  3. शारीरिक स्वास्थ्य की हानि के साथ ही कमजोर सन्तानका पैदा होना एवं प्रसव मृत्यु की संभावना। 
  4. शिक्षक विकास अवरूध होना जिससे बिना योग्यता के चाहा रोजगार व नौकरी नहीं मिलना। 
  5. पैसे के लिए माता-पिता, भाई-बहन या सास-ससुर पर निर्भर रहना एवं कर्जदार बनना। 
  6. जीव न में आशातीत आर्थिक समृद्धि का अवरूध होना तथा एड्स, नाताव तलाक की प्रथा को बढ़ावा। 
  7. रक्षर सेवाओं में योग्यता की समाप्तिव अन्य सेवाओं में रूकावट 
  8. सक्ष्य समाज मै बैठने से संकोच महसूस करना। 
  9. गौरवमय जीवन व्यतीत नहीं कर पाना।
  10. बाल विवाह के उपरान्त कुछ पति वर्ग द्वारा उच्च शिक्षित व धनि होने पर दूसरी शादी रचना। 
  11. बाल विवाहित जीवन असफल होना।
  12. नवजीवन का उद्देश्य खो बैठना और समाज, प्रदेश एवं राष्ट्र उन्नति मे बाधा। 

नोट- क्या आपने इतने ढेर सारे दुष्परिणाम उठाने के बाद भी बाल विवाह की प्रथा को अपनाना पंसद करेंगे?
बालविवाह रोकथाम कानून, 2006 के अनुसार विवाह के समय लड़की की उम्र 18 वर्ष एवं लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए अन्यथा दोषी को 2 वर्ष की जेल या 1 लाख रूपये का जुर्माना या दोनो सजाएं दी जा सकती है।
राज्य सरकार के आदेश प्राप्त होने पर जिला कलेक्टर वेदप्रकाशने खासकर 23 अप्रेल 2014 को बैठक बुलाकर सभी संबंधित जिला प्रशासनिक अधिरिशों को निर्देषित किया कि जनजागृति जागरूकता के ठोस प्रयास किये जायें व बाल विवाह रोकथाम कानून की कठोर पालना हो। इस सन्दर्भ में यह भी आदेश दिये कि प्रत्येक ग्राम पंचायत पर अक्षय तृतीया (आखा तीज) 2 मई तक साधारण सभा की बैठक बुलाई जावें और रैलियां निकाली जायें। जिला मुख्यालय पर 24 घंटे एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है (फोन नं. 01472-245044, सीडीपीओ कार्यालय) पुलिस विभाग ने जिले के सभी थानाधिकारी (SHO) को निर्देशित किया है कि आल विवाह की सूचना मिलते ही तुरंत कानूनन कार्यवाही की जाये। पिछले वर्ष बाल विवाह जिले भर में 124 प्रकरण समझाइश से निपटाए गये एवं 33 प्रकरण पर कार्यवाही की गई।
अतः बाल विवाह रोकथाम के लिए जन सहयोग की अपील के साथ ही बाल विवाह के वर्तमान एवं भविष्य में कदम उठाने वाले परिवारों से विनम्र अनुरोध है कि इस अपराध से बच्चों का और अपना उज्जवल भविष्य बनाने में ईमानदारी से सहभागी बनें! धन्यवाद! जयचित्तौड! जयहिन्द!
(वर्ष 1929 में बाल विवाह सम्बन्धित शारदा एक्ट आया था
लेकिन 85 वर्षों से यह कुरिती प्रचलित है जिस ग्रर हम सबको गम्भीरता से सोचना चाहिये)