Saturday 22 March 2014

विश्व जल दिवस

स्वतंत्रता व लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतदाता कृपया 17 अप्रेल
को शत प्रतिशत मताधिकार का उपयोग अवश्य करें

विश्व जल दिवस

22 मार्च, 2014
जल बचाओ, जल की गुणवत्ता बचाओ और सुखी जीवन बिताओ

प्रिय चित्तौड़गढ़ जिला बन्धुओं! निम्न 12 जल संबंधित बातों पर विशेष ध्यान दें -
  1. जल ही जीवन है। जल है तो कल है। जल होगा तो विकास होगा-चाहे वो कृषि विकास हो, औद्योगिक विकास हो, ग्रामीण वशहरी विकास हो और आखिरकार मानव विकास।
  2. जल की मात्रा और गुणवत्ता बचानावबहाना विकास के लिए दोनों जरूरी है। 
  3. जल की मात्रा व गुणवत्ता दोनों को बचाने के लिए जल का सभी कायों में सदपुयोग करना एवं स्वच्छता रखना यानि जल को फिजुल खर्ची एवं प्रदुषण से बचाना जरूरी है। जल उपयोग सेक्टर है- कृषि, उद्योग, बिजली उत्पादन, बाजारू होटल, रेस्तरां व बर्फ फैक्ट्रियां, सार्वजनिक व निजी निर्माण कार्य, पेयजल कार्य इत्यादि।
  4. जल बचत के लिए किसान वर्ग, औद्योगिक वर्ग, व्यापारी वर्ग, सेवा कर्मी वर्ग, मजदूर वर्ग विद्यार्थी एवं गृहणियों सभी को बाल्यवर्ग से लेकर युवा, वयस्क एवं वृद्धवर्ग तक की घनिष्ट भागीदारी जरूरी है।
  5. जल प्रमुखतौर पर संम्पदा के आधार पर चार श्रेणियों में पाया जाता है - (1) वर्षा जल (2) नदी-नालों, नहर, चश्मों का जल (3) जलाशय - नाडा, नाडी, तालाब, एनिकट व बांध का जल (4) जमीन में कुंए, हैण्डपम्प, बोरवेलवट्यूबवेल का जल और पातालतोड़ कुंओं का जल प्रति व्यक्ति जलकी मात्रा लगातार घट रही हैं।
  6. भूजल स्तर नीचेगहराई में जा रहा है। जल बचाना और बढ़ाना अति आवश्यक है। 
  7. जलगुणवता के आधार पर प्रमुखतौर से कहलाता है -(1) मीठा जल (2) खारा जल, (3) नमकीन जल। 
  8. समुद्र जल सभी प्रकार के जल का स्रोत है, जो बादलों के सहारे जमीन पर पहुंचता है। 
  9. पृथ्वी पर हमारे देश-प्रदेश में कुल जल का 80 प्रतिशत भाग कृषि उपज में, 5 से 10 प्रतिशत विभिन्न उद्योग, व्यापार व बिजली उत्पादन में एवं 5 से 10 प्रतिशत जल पीने, घरेलु खर्च व निर्माण कार्य में काम आता है।
  10. अतः जल बचत में किसानों की विशेष भूमिका है। 
  11. जल एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने में नहरों द्वारा, खेत, थोरों/ खालों द्वारा बड़ा खराब होता है। इनमें सुधार आवश्यक है। 
  12. सीधे खेत में खुली सिंचाई करने के बजाय पाईप, डीप व स्प्रिंकलर विधि द्वारा जरूरी है। खेत में प्लॉट भी छोटे, समतल व व्यवस्थित हों इससे उपज भी बढ़ेगी।

अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
चित्तौड़ीखेड़ा, चित्तौड़गढ़-राजस्थान
मो. : 9413315843 डॉ. भगवतसिंह तंवर ( तोमर)
पूर्व चीफ इंजीनियर व अध्यक्ष