Wednesday 19 March 2014

वसुंधरा जल क्रांति जन चेतना अभियान

जय-जय शुद्ध जल ! जय-जय शुद्ध हवा ! जय-जय शुद्ध पर्यावरण ।
यह तीनों स्वस्थ्य जीवन जीने की है दवा !
वसुंधरा जल क्रांति जन चेतना अभियान
: सौजन्स से :
अरावली जल एवं पर्यावरण सेवा संस्थान
(डॉ.भगवतसिंह तंवर, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर व संस्थान अध्यक्ष)
मो. +91413315843, ऐप. 9460490043, ई-मेल awesiraj@gmail.com
जन-जन अमृत जल का मोल पहचानों, जल संग्रह–संरक्षण-सवंर्धन और इसके सुदपयोग की विधि जानो
प्रिय भाई बहनों और दोस्तों, सादर प्रणाम !
बारिश के अमृत जल को बेकार मत बहने दो
जहां धरती पर बरसे उसमें इसे रहने दो
क्या आपने कभी सोचा है कि एक किलो गेहँ पैदा करने में पॉच ड्रम 1350 किलो) पानी का उपयोग हो रहा है ?यानि एक किलो गेहूं खाने का मतलब है हमने 5 ड्रम पानी पी लिया। राजस्थान वासी हरेक अगर एक लोटा पानी प्रतिदिन बचाये तो एक वर्ष में कुल पानी की मात्रा से पचास हजार टन अनाज पैदा किया जा सकता है। पेयजल हो या खेती में व उद्योग में जल के उपयोग की बात, हम लापरवाह बन छत व धरती पर वर्षा जल, बांध -- तालाब का जल, मृदा जल और कुए, - बावड़ी व बोरवेल के जल (चारों जल) को बेकार बहने व उड़ते देने के अलावा इनका बेहद दुरूपयोग कर रहे है! इसे बेकार में क्यों बहने व उड़ने दे रहे है? गंदा नालियों में छोड़कर जल को दूषित बना गंदगी फैला रहे है! हमारा जल संग्रह, संरक्षण, संवर्धन और सदुपयोग की तरफ कोई उचित ध्यान नहीं है। कोई नियमित जनभागीदारी नहीं है। बांध कमान क्षेत्र में पारम्परिक सिंचाई द्वारा विशेषकर मेवाड़ के पहाड़ी इलाको के बीच 50 प्रतिशत तक पानी बेकार में खराब हो रहा है जहां वैज्ञानिक तौर से आधुनिक सिंचाई करने की आवश्यकता है।
‘‘जल ही जीवन है” और “जल है तो कल है" तथा “साफ सुथरा पृयावरण है” तो जीवन का आनंद है| इन बातों को हम गम्भीरता से नहीं लेते, चाहे इसका कितना ही प्रचार - प्रसार किया जाये। यही कारण है कि हमारा जीवन स्तर विश्व में कई देशों के मुकाबले निम्न स्तर पर है और हम सही मायने में गरीबी के स्तर से ऊपर उठ नहीं पा रहे है| इस दुर्दशा के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है । 70 साल आजादी के बीतने के उपरान्त भी विकास तो विकास सफाई रखवाने व शौचालय बनवाने के लिए भी केन्द्र एवं राज्य को कड़ी मशकत उठानी पड़ रही है। इस कार्य में भी जल का होना अति आवश्यक है।
अतः वसुन्धरा सरकार ने राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में जल के महत्व को सर्वोच्च समझते हुए प्रथम चरण (2003-2008) में जोरदार “जल बचाओ अभियान चलाया" और अब दूसरे चरण में (2013-2018) में भी एक अनूठा ‘‘मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान (MJSA)" ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चलाया जा रहा है, जिसकी विशेषता यह है कि इसे शासन, प्रशासन, औद्योगिक, सामाजिक, धार्मिक ट्रस्ट व अन्य सभी क्षेत्रों के साथ जोड़ा गया है । यह पहली बार ऐसा हुआ है जो वास्तव में “जल क्रांति" का श्रेष्ठ रूप है।
राज्य स्तर पर ‘राजस्थान नदी बेसिन व जल प्राधिकरण" के अध्यक्ष की अध्यक्षता में राज्य निदेशक समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री स्तर से लेकर कई ग्राम स्तर तक कई समितियों का गठन किया गया है और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में लगभग सभी सरकारी विभागों के साथ - साथ माननीय मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि एवं कई निजी संस्थान, जल स्वालम्बन अभियान के साथ जुड़ जुके है और लगातार जन सहयोग भी मिल रहा है । आप भी इस अत्यन्त महत्वपूर्ण ‘‘जल क्रांति अभियान के अवश्य ही सहयोगी बनिए । अपने जीवन में वैज्ञानिक तौर पर जल संग्रह, संरक्षण, संवर्धन और सदुपयोग की पूर्ण जिम्मेदारी लीजिए और साथ ही "भारत स्वच्छ मिशन" के साथ जुड़कर अपने मोहल्ले, गांव व शहर को साफ सुथरा बनाईये । जल क्रांति को सफल बनाईये । धन्यवाद !
वसुन्धरा लाई है जल क्रांति-जागो उठो अपनाओ इसे, वो नहीं कोई भांति
जय चित्तौड़ ! | जय राजस्थान | ! जय भारत !